THE DONKEY AND THE DOG…

Dear children…
Today I have going to tell you a short story named as
“The Donkey and the Dog…”

Once upon a time in a small town there lived a poor potter. He had a dog to guard his house and pottery, and a donkey to carry his load from one village to another village.

Whenever the master came, the dog used to bark a little to welcome him. The dog ran upto the master and raised his front legs and puts them on the master. The master pets the dog and gives him nice food to eat.

THE DONKEY AND THE DOG...

The donkey used to watch this daily routine from a distance. He began to feel jealous of the dog. He thought with jealous, ” What an easy life for the dog! He just roams around. He barks at strangers. That’s all his work.

Yet, he being cared with love and affection. But look at me ! I carry all the loads. Yet, all I get is hard blows and left over for eating.”

So one day the donkey decided to behave in the same way as the dog, in order to get nice treatment from his master.

He roamed here and there and neighed at strangers. When the master returned he neighed a little. ran to him and wagging his tail he started to lift his front legs.

The master got annoyed. He took a long stick and landed heavy blows to donkey!

Moral of the story is “Jealousy will not serve good.”

THE DONKEY AND THE DOG

प्यारे बच्चों…
आज मैं आपको एक छोटी सी कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिसका नाम है
“गधा और कुत्ता…”

एक गधे और कुत्ते की कहानी …

एक समय की बात है, एक छोटे से शहर में एक गरीब कुम्हार रहता था। उसके पास अपने घर और मिट्टी के बर्तनों की रखवाली के लिए एक कुत्ता था, और एक गाँव से दूसरे गाँव तक अपना सामान ढोने के लिए एक गधा था।

जब भी मालिक आता तो कुत्ता उसके स्वागत में थोड़ा भौंकने लगता। कुत्ता दौड़कर मालिक के पास जाता और अपने अगले पैर उठाकर मालिक के ऊपर रख देता। मालिक कुत्ते को पालता है और उसे अच्छा खाना खाने को देता।

गधा दूर से इस दैनिक क्रिया को देखता रहता था। उसे कुत्ते से ईर्ष्या होने लगी। उसने ईर्ष्या से सोचा, “कुत्ते के लिए कितना आसान जीवन है! वह बस घूमता रहता है। वह अजनबियों पर भौंकता है। यही उसका काम है।”

फिर भी, प्यार और स्नेह से उसकी देखभाल की जा रही है। लेकिन मुझे देखो! मैं सारा भार उठाता हूं। फिर भी, मुझे केवल कड़ी मार पड़ती है और खाने के लिए बचा हुआ घास और बचा हुआ खाना मिलता है।”

इसलिए एक दिन गधे ने अपने मालिक से अच्छा व्यवहार पाने के लिए कुत्ते की तरह ही व्यवहार करने का फैसला किया।

वह इधर-उधर घूमता था और अजनबियों को देखकर हिनहिनाता था। जब मालिक लौटा तो वह थोड़ा हिनहिनाया। उसके पास दौड़ा और अपनी पूँछ हिलाते हुए अपने अगले पैर उठाने लगा।

मालिक नाराज हो गया। उसने एक लंबी छड़ी उठाई और गधे को जोर जोर से मरने लगा!

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि “ईर्ष्या से कोई लाभ नहीं होगा।”

भले ही हर बात भूल जाइये, माता पिता को भूलना नहीं ।
अनगिनत है उपकार इनके , यह बात कभी भूलना नहीं।।धरती के देवी देवताओं को पूजा ,तभी आपकी सूरत देखी
इस पवित्र माँ के दिल को कठोर बनकर तोड़ना नहीं ।।
अपने मुँह का कौर निकल ,तुम्हे खिलाकर बड़ा किया ।
इन अमृत देने वालों सामने ,जहर कभी उगलना नहीं ।।
खूब लाड़ प्यार किया तुमसे ,तुम्हारी हर ज़िद पूरी की ।
ऐसे प्यार करने वालों से, प्यार करना कभी भूलना नहीं ।।
चाहे लाखोँ कमाते हो, लेकिन माता पिता खुश न रहें तो।
लाख नही सब ख़ाक है, यह मानना क़भी भूलना नहीं ।।
भीगी जगह में खुद सोकर ,सूखे में सुलाया तुम्हें
ऐसी अनमोल आँखों को , भूल कर भिगोना नहीं ।।
फूल बिछाये प्यार से,जिन्होनें तुम्हारी राहों पर, ।ऐसी चाहना करने वालों की ,राहों के कांटे क़भी बनना नहीं।।
दौलत से हर चीज मिलेगी ,लेकिन माता पिता मिलेंगे नहीं
संतान से सेवा चाहो तो संतान बनकर सेवा करें ।
जैसी करनी वैसी भरनी , यह न्याय क़भी भूलना नही ।।
भले जी हर बात भूल जाइये , पर माता पिता को भूलना नही , भूलना नही ,हाथ जोकर विनती है विनती है ।।

Leave a Comment